Tuesday, June 3, 2008

पथ कठिनाई से डरना कैसा

राह चुन, विश्वास बुन, पथ कठिनाई से डरना कैसा
पग बढ़ा, पा ही जायेगा, लक्ष्य की चिन्ता करना कैसा!

पथ में माना शूल बहुत हैं, छलनी पग हो जायेंगे
पुष्प विजय प्राप्त यदि करना, शूलों की परवाह करना कैसा!

धारण किया व्रत गर तूने, कि लक्ष्य को एक दिन पाना है
फ़िर असफलता की सोच के मन में, निश्चय को निर्बल करना कैसा!

जीवन पाया गर तूने मानव, म्रत्यु भी है निश्चित ये जान ले,
पर आने से पहले ही उसके, सोच म्रत्यु का मरना कैसा!

राह चुन, विश्वास बुन, पथ कठिनाई से डरना कैसा
पग बढ़ा, पा ही जायेगा, लक्ष्य की चिन्ता करना कैसा!

3 comments:

Unknown said...

its really a great poem.which is full of spirit and motivation too.this poem can motivate anyone.

Unknown said...

Gopesh ji aap ne bahut badiya kavita likhi hain. Likhna Jaari Rakhiye

Unknown said...

Good One ... I must repeat one of the comment you got .." its truly a full of spirit and motivation ".