Friday, June 13, 2008

ईनाम

मेरी वफाओं का क्या मिला, मुझको ईनाम देखिये,
अपने ही दोस्तों से मिला, बेवफा का नाम देखिये!!

भीड़ के दरमियाँ भी, तनहा खड़ा हूँ आज,
यारों से मेरी नज़दीकियों का, अंजाम देखिये!!

राह-ऐ-मुहब्बत में हो गया है, चैन-ओ-सुकून तमाम,
मेरी तकदीर का मेरे लिए, फरमान देखिये!!

दोस्त बन कर दगा दी है, दुश्मनों ने मुझे,
मेरे रकीबों का अनोखा, इंतकाम देखिये!!

बन गए हैं हरीफ़, थे कल तक हबीब जिन के वास्ते,
मेरे ही रफीकों से मिली, मेरी नई पहचान देखिये!!

मेरी वफाओं का क्या मिला, मुझको ईनाम देखिये,
अपने ही दोस्तों से मिला, बेवफा का नाम देखिये!!

2 comments:

Unknown said...

bhai.uss dost ka kya naam hai?jisne aisa julm kiya.................namm bata do. ......dost aur unka..........

Gopesh said...

Koi nahi hai,NA dost na wo.......Aise hi likha hai. Har cheez ko wahin mat jod diya karo.