Tuesday, June 3, 2008

नव युग का निर्माण

आलस्य तजें, वैमनस्य त्यागें,
नित नए लक्ष्यों का संधान करें,
परस्पर मिला कर उर अपने,
आओ नव युग का निर्माण करें !

पुरुषार्थ के करो से विश्व ललाट पर,
सौभाग्य की अमिट रेखा खींचे,
इस वसुधा को आओ,
अपनी श्रम बूंदों से सींचे,
जगत उपकार के हेतु,
नित्य नए अनुसंधान करें,
परस्पर मिला कर उर अपने,
आओ नव युग का निर्माण करें !

स्वहित को तुच्छ जानें,
जनहित को सर्वोपरि मानें,
विश्व बंधुत्व की भावना को,
सदैव अपने ह्रदय में लावें,
राम राज्य की कल्पना को,
कर्मों से अपने साकार करें,
परस्पर मिला कर उर अपने,
आओ नव युग का निर्माण करें !

1 comment:

Vikas Kumar Bhatnagar said...

kya baat hai gopu
lagta hai tu saayar ban gaya mere dost.....