Monday, June 18, 2012

मेरी सोचों पर बस तेरा ही पहरा है 
मेरे ख्वावों में बस तेरा ही बसेरा है 

हर लम्हा महसूस करूँ तुझको ही
तू ही शब मेरी तू ही मेरा सवेरा है

Thursday, June 14, 2012


मेरी दिलजोई का सामान तू है,
मेरी चाँद रात का मेहमान तू है,


जिंदगी के तमाम अज़ाबों के दरमियाँ,
मेरी उम्मीदों का सायबान तू है,


मांगी हैं जितनी भी दुआयें मैंने खुदा से,
मेरी उन दुआओं का ईनाम तू है,


उड़ता जाता हूँ जहाँ आजाद परिंदों की तरह 
मेरी ख्वाहिशों का वही आसमान तू है


अब किसी और की कहाँ जरूरत मुझको
मेरी सारी जिन्दगी मेरा सारा जहान तू है 


तू ही मेरी आरज़ू और तू ही मेरी जुस्तजू 
मेरे हर एक सफ़र का मकाम तू है 

Friday, May 25, 2012

एक शाम तनहा सी मेरे घर में उतर आई है 
और शब के अँधेरे मुझे निगलते जाते हैं

हर सू फैली है एक उदासी की चादर  
और दिल में कुछ ख्वाब पिघलते जाते हैं

कुछ समझ नहीं आता कि हुआ क्या है
क्यों सारे रिश्ते हाथों से  फिसलते जाते हैं

बढती जाती है खलिश सीने की हर रोज़
दरख़्त एहसासों के दिल में दरकते जाते हैं

ना जाने कितनी दूर और चल सकूंगा ऐसे
मंजिल के निशान आगे को सरकते जाते हैं

तू लुटा रहा है अपनी रहमत का दरिया गैर के घर
और हम हैं कि एक एक बूँद को तरसते जाते हैं

Thursday, May 24, 2012

मुझे बदलने की कोशिश ना कर ए ज़माने,
मैं कोई पत्थर नहीं कि तराश लिया जाऊं.

क्यों हर कोई आज ढूंढ  रहा है वजूद मेरा 
मैं खोया ही कब था कि तलाश लिया जाऊं.

तुझसे वस्ल को ये दिल बेक़रार क्यों है,
गर ये मोहब्बत नहीं तो ये इंतजार क्यों है.

क्यों मुड़ती है मेरी हर राह तेरे दर की तरफ,
ये मुगालता मुझे रोज़ रोज़, हर बार क्यों है.

तेरा ही चेहरा नुमायाँ है हर जगह,  हर शै में,
तू हर दम मेरे होश-ओ-हवास पर सवार क्यों है.

क्यों है एक बेकली सी इस दिल में हर लम्हा,
मेरी हर शाम को तेरी आमद का इंतजार क्यों है.

खुद ही तो तुझसे दूर चला आया था कभी,
फिर अब  तेरे पास आने का इसरार क्यों है.

कोई कसर उठा ना रखी थी तुझसे दूरियां बनाने में,
फिर अपनी इस जीत पर दिल आज शर्मसार क्यों है.

Saturday, April 21, 2012

मेरे सनम तेरी जुस्तजू में मैंने अपनी तमाम उम्र काटी है
अब तेरा आना कैसा अब तेरा मिलना कैसा जब बस आखिरी सांस ही बाकी है

कुछ कमी मेरी तदबीर में रही शायद कुछ कसूर मेरी तकदीर का भी होगा
या शायद तुझे पाने के लिए ये एक उम्र  मेरी नाकाफी है 

सब  सामान तैयार है रुखसती का बस खुदा हाफिज ही कहना है 
तू सामने खड़ी है दीदार के लिए वही मेरे लिए काफी है 

कर दे इज़हार-ए-मोहब्बत आखिरी तमन्ना ही समझ कर मेरी 
इक इसी उम्मीद पर तो मैंने ये तमाम उम्र काटी है