Thursday, June 14, 2012


मेरी दिलजोई का सामान तू है,
मेरी चाँद रात का मेहमान तू है,


जिंदगी के तमाम अज़ाबों के दरमियाँ,
मेरी उम्मीदों का सायबान तू है,


मांगी हैं जितनी भी दुआयें मैंने खुदा से,
मेरी उन दुआओं का ईनाम तू है,


उड़ता जाता हूँ जहाँ आजाद परिंदों की तरह 
मेरी ख्वाहिशों का वही आसमान तू है


अब किसी और की कहाँ जरूरत मुझको
मेरी सारी जिन्दगी मेरा सारा जहान तू है 


तू ही मेरी आरज़ू और तू ही मेरी जुस्तजू 
मेरे हर एक सफ़र का मकाम तू है 

1 comment:

Anonymous said...

Shaikh Sahib Ka Imaan Bik He Gaya
Daikh Kar Husn E Saqi Pigal He Gaya
Aaj Se Pehle Ye Kitne Maghroor The
Lut Gayi Parsaayi Maza Aagaya