Tuesday, June 16, 2009

कभी कभी यादों के वीरानों में कुछ साए लहराते हैं,
कभी कभी कुछ अपनों के उदास चेहरे नज़र आते हैं,
कुछ गुनाह जो किए थे कभी अपनों की खातिर,
आज उन्ही अपनों के आगे गुनाहगार नज़र आते हैं.

1 comment:

Paiker said...

wah wah ...acha likha hai dost .......it happens..