किसी ने कहा की कुछ लिखो आज,
बहुत दिनों के बाद कुछ मन में आया है
उठाई है फिर कलम कुछ लिखने को
पर अपनी स्याही को फिर सूखा पाया है
तड़पते हैं अन्दर के जज़्बात बाहर आने को
पर हर एक दरवाजा मैंने बंद पाया है
कोशिश जारी है अपने शौक को मकाम पर लाने की
पर बिना पैरों के भी कभी कोई चल पाया है
हसरत है गुलज़ार करने की किताब को लफ्जों से अपने
पर मैंने हर वर्क को पहले से भरा पाया है
अब तो साकित हूँ अपने ही अरमानों के साए तले
क्या मैंने सोचा था और क्या मैंने पाया है
Ab-Initio - Air sanbox command. Part 2
8 years ago