Wednesday, August 24, 2011

ये तख़्त बदलेगा ये ताज बदलेगा
हर तरफ फैला गंदगी का साम्राज्य बदलेगा

जो जली है आग दिलों में आज सबके उसे बुझने मत देना
आने वाला कल बदलेगा और हमारा आज बदलेगा

हो चुकी हैं पार सब हदें बर्दाश्त की अब और नहीं सह सकते
बदल रहे हैं इंसान और अब ये निजाम बदलेगा

ना आजमाओ जब्त मजलूम का कहीं बलबे न हो जाए
टूटा जो बाँध सब्र का तो समाज का हर रिवाज़ बदलेगा

हो गर अभी भी चूर ताकत के नशे में तो इतना समझ लो
जिसने बख्शी है ये तुम्हे वही तुम्हे मेरे सरकार बदलेगा

Thursday, July 14, 2011

वो जो करते थे हिदायतें इश्क न फरमाने की बशर,
देखा है आज उन्हें दरबार-ऐ-हुस्न में सजदा करते

मय से अदावत जिनकी मशहूर थी ज़माने भर में,
देखा है आज हमने उन्हें राह-ऐ-मैखाना पता करते

हर बात में दिल्लगी जैसे आदत थी उनकी,
अब देखते हैं उन्हें हर बात पे चेहरा संजीदा करते

नामालूम क्या आ पड़ी क्या बदल गया अचानक,
देखते हैं उन्हें दौलत-ऐ-इश्क कूंचा-ऐ-हुस्न में अता करते

मैं न समझा उनकी अचानक बदली फितरत का सबब,
बस देख रहा हूँ हैरान आज उन्हें सब कुछ जुदा करते

कुछ तो राज़ है इसमें कुछ तो छुपा रहे हैं वो,
वरना तो कभी देखा नहीं उन्हें किसी बात में परदा करते